उत्तराखंड

ड्रोन और डॉग स्क्वॉड की मदद से केदारनाथ में पांचवें दिन भी जारी बचाव अभियान

बादल फटने और भूस्खलन के बाद केदारघाटी में फंसे लोगों को बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन पांचवें दिन भी जारी है। सोमवार को मौसम साफ होने के साथ ही एमआई 17 और चिनूक से एयर लिफ्ट रेस्क्यू शुरू हो गया है। एमआई-17 चारधाम हेलीपैड पर यात्रियों को उतार रहा है जबकि चिनूक गौचर हवाई पट्टी पर यात्रियों को उतारेगा। सुबह नौ बजे तक 133 लोगों को केदारनाथ से एमआई एवं चिनूक एव छोटे हेलिकॉप्टर की मदद से सुरक्षित एयर लिफ्ट कर रेस्क्यू किए जा चुके हैं। रेस्क्यू किए जा रहे तीर्थ यात्रियों का गौचर हेलीपैड पर स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें प्राथमिक उपचार भी दिया जा रहा है। उधर केदारनाथ मार्ग पर फंसे लोगों का पता लगाने के लिए खोजी श्वान व ड्रोन की मदद से तलाशी अभियान भी जारी है।

अतिवृष्टि से प्रभावित विभिन्न स्थानों के साथ ही केदारनाथ से रविवार को 1275 यात्री व स्थानीय लोगों का पैदल और हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू किया गया है। चार दिन में अब तक कुल 10374 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है।

31 जुलाई को हुई अतिवृष्टि से केदारनाथ मार्ग को भारी नुकसान पहुंचा है। गौरीकुंड से केदारनाथ मंदिर तक पैदल मार्ग करीब 10 जगह पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। लोक निर्माण विभाग की टीम मार्ग को खोलने में जुटी है। लोनिवि की रिपोर्ट के अनुसार जो स्थितियां हैं उनमें मार्ग को पूर्व की दशा में लाने में करीब एक महीने का समय लग सकता है। इस दौरान हजारों तीर्थ यात्री केदारनाथ मार्ग पर फंस गए जिन्हें बचाने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन पांचवें दिन भी जारी है।

सेना ने मोर्चा संभालते हुए सोनप्रयाग और गौरीकुंड में मंदाकिनी नदी पर अस्थायी ट्राली स्थापित कर दी है। साथ ही वैकल्पिक पैदल पुल का निर्माण भी शुरू कर दिया है। गौरीकुंड में घोड़ा पड़ाव के पास लगभग 15 मीटर लंबाई में रास्ता पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। यहां पर लोनिवि श्रमिक वैकल्पिक मार्ग स्थापित करने में जुटे हैं।

गौरीकुंड से सोनप्रयाग मार्ग को भी नुकसान पहुंचा है। इस मार्ग को ठीक करने की कोशिश में एनएच जुटा है। दूसरी तरफ मशीन पहुंचाने के लिए वैकल्पिक मार्ग समेत अन्य विकल्पों को भी देखा जा रहा है। लोनिवि ने जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें कहा गया है कि मार्ग को खोलने के लिए कई जगह कटिंग का काम हो गया है। पर जो फिलहाल स्थितियां हैं, उसमें एक अनुमान के हिसाब से पूर्व की दशा में मार्ग को लाने में एक महीने तक का समय लग सकता है।

केदारनाथ पैदल मार्ग पर अब सेना ने भी सर्च अभियान शुरू कर दिया है। सेना की टीम डॉग स्क्वॉड की मदद से अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्र में बोल्डर, मलबा व जंगल में खोजबीन कर रही है। चर्चा थी कि अतिवृष्टि के दौरान कुछ लोग जंगल की तरफ भागे थे, आशंका है कि इनमें से कुछ रास्ता भटक गए। इसलिए आर्मी तलाशी के लिए स्निफर डॉग का इस्तेमाल कर रही है।

उधर एसडीआरएफ की टीम भटके हुए लोगो की तलाश में ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है। ऐसी आशंकाएं हैं कि लिंचोली से भीमबली के बीच ड्रोन कुछ लोग रास्ता भटक गए हों, या भूख प्यास से तड़प रहे हैं, ऐसे में ड्रोन से लोकेशन पता लगे तो फौरन रेस्क्यू टीमों को रवाना किया जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *