उत्तराखंड

एच.एन.बी. गढ़वाल विश्वविद्यालय को मिला नैक का ‘ए’ ग्रेड, यूनिवर्सिटी ने छुआ नया मुकाम

बेहतर एकैडमिक और शोध विषयों के लिए मशहूर प्रतिष्ठित हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय को बडी उपलब्धि हासिल हुई है। विश्वविद्यालय को हाल ही में यूजीसी की राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) द्वारा ‘ए’ ग्रेड प्रदान किया गया है। इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय में खुशी की लहर है।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. राकेश ढोढ़ी ने बताया कि नैक द्वारा विश्वविद्यालय के तृतीय मूल्यांकन चक्र (2017 से 2022) की अवधि हेतु ग्रेडिंग मूल्यांकन प्रक्रिया के लिए नैक पियर टीम ने 6 जून से 8 जून 2024 तक विश्वविद्यालय और इसके कैंपस का स्थलीय निरीक्षण किया था। तमाम मापदंडों पर खरा उतरन के बाद नैक ने गढ़वाल विश्वविद्यालय को ए ग्रेड प्रदान किया गया है। इससे पहले 2003 में यूनिवर्सिटी को B++ ग्रेड एवं और 2016 में भी ए ग्रेड के रूप में मान्यता दी गई थी। लेकिन इस बार की ग्रेडिंग के लिए नए मानक स्थापित किए गए थे , जिन पर खरा उतरना एक बड़ी चुनौती थी। नैक की टीम ने निरीक्षण के बाद विश्वविद्यालय के इंफ्रास्ट्रक्चर, समस्त परिसरों एवं विभागों के कुशल प्रबंधन की तारीफ की है।

नैक पियर टीम द्वारा परिसरों की विषम भौगोलिक परिस्थितियों, अपेक्षित संसाधनों की कमी एवं एक ही केन्द्रीय विश्वविद्यालय प्रशासनिक ढ़ाचे के अन्तर्गत कई परिसरों के प्रबंधन की कठिनाइयों के बावजूद विश्वविद्यालय द्वारा नैक गुणवत्ता मानकों की पूर्ति सुनिश्चित किये जाने को भी उपलब्धि के रूप में इंगित किया गया है। नैक पियर टीम ने यूनिवर्सिटी के ई-गवर्नेन्स प्रयासों और एक्सीलेंस सेंटरों, HAPREC, हिमालय पुरातत्य संग्रहालय की प्रशंसा की गयी। नैक पियर टीम ने प्रभावी गुणवत्ता सुनिश्चित किये जाने हेतु पूर्व छात्र संस्था तथा कैंपस प्लेसमेंट को अधिक प्रभावी बनाये जाने के सुझाव दिये गये।

क्या है नैक ग्रेडिंग

National Assessment and Accreditation Council(नैक) यूजीसी की एक ऑटोनोमस बॉडी है, जिसे 1994 में स्थापित किया था। नैक ग्रेड देने के लिए संस्थानों की परफॉर्मेंस जिस आधार पर तय की जाती है, उसके लिए पैरामीटर्स तय किये गये हैं। इसका काम देशभर के विश्वविद्यालयों, उच्च शिक्षण संस्थानों, निजी संस्थानों में गुणवत्ता को परखना और उनको रेटिंग देना है। नैक के तहत चार सालों के लिए ग्रेड दिया जाता है। चार साल बाद फिर से उस शिक्षण संस्था का निरीक्षण कर उसे ग्रेडिंग दी जाती है।

सबसे पहले उच्च शिक्षण संस्थान को नैक ग्रेडिंग के लिए आवेदन करना पड़ता है। आवेदन करने के बाद नैक की टीम उस संस्थान का दौरा करेगी। इस दौरान नैक की टीम उस शिक्षण संस्थान में शिक्षण सुविधाएं, शिक्षकों का शैक्षणिक और शोध कार्य, वहां के रिजल्ट्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, कर्मचारियों का वेतन, छात्रों को दी जाने वाली सुविधाएं (कैंटीन, हॉस्टल, खाना वगैरह) और कॉलेज का माहौल जैसे कई तरह का निरीक्षण करती है। इसी आधार पर नैक की टीम अपनी रिपोर्ट तैयार करती है। इसके बाद उस शिक्षण संस्थान को सीजीपीए दिया जाता है और इसी के आधार पर ग्रेड जारी होते हैं।

नैक रेटिंग से छात्रों को शिक्षण संस्थान के बारे में सही जानकारी मिलती है। छात्रों को संस्थान के बारे में शिक्षा की गुणवत्ता, अनुसंधान, बुनियादी ढांचा और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी जानकारी हासिल करने में आसानी होती है। नैक ग्रेडिंग के जरिये ही छात्र अपने लिए बेहतर कॉलेज तलाश सकते हैं। इतना ही नहीं, नैक ग्रेड से शिक्षण संस्थानों की पढ़ाई और डिग्रियों का महत्व भी निर्धारित होता है।

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